आया न एक बार अयादत को तू मसीह
सौ बार मैं फ़रेब से बीमार हो चुका
Wasi Shah
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Gulzar
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1332) Peoples Rate This
बात करने में तो जाती है मुलाक़ात की रात
गुज़र को है बहुत औक़ात थोड़ी
शमशीर है सिनाँ है किसे दूँ किसे न दूँ
ऐ ज़ब्त देख इश्क़ की उन को ख़बर न हो
हम जो पहुँचे तो लब-ए-गोर से आई ये सदा
पहलू में मेरे दिल को न ऐ दर्द कर तलाश
मानी हैं मैं ने सैकड़ों बातें तमाम उम्र
ज़ीस्त का ए'तिबार क्या है 'अमीर'
हैं न ज़िंदों में न मुर्दों में कमर के आशिक़
अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है
पुतलियाँ तक भी तो फिर जाती हैं देखो दम-ए-नज़अ