Coupletss of Ameer Minai (page 4)
नाम | अमीर मीनाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Ameer Minai |
जन्म की तारीख | 1829 |
मौत की तिथि | 1900 |
गर्द उड़ी आशिक़ की तुर्बत से तो झुँझला कर कहा
गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर'
फ़ुर्क़त में मुँह लपेटे मैं इस तरह पड़ा हूँ
फ़िराक़-ए-यार ने बेचैन मुझ को रात भर रक्खा
देख ले बुलबुल ओ परवाना की बेताबी को
छेड़ देखो मिरी मय्यत पे जो आए तो कहा
बोसा लिया जो उस लब-ए-शीरीं का मर गए
बरहमन दैर से काबे से फिर आए हाजी
बाक़ी न दिल में कोई भी या रब हवस रहे
बाग़बाँ कलियाँ हों हल्के रंग की
बातें नासेह की सुनीं यार के नज़्ज़ारे किए
बाद मरने के भी छोड़ी न रिफ़ाक़त मेरी
अपनी महफ़िल से अबस हम को उठाते हैं हुज़ूर
'अमीर' अब हिचकियाँ आने लगी हैं
अल्लाह-री नज़ाकत-ए-जानाँ कि शेर में
अल्लाह-रे सादगी नहीं इतनी उन्हें ख़बर
अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है
अभी कमसिन हैं ज़िदें भी हैं निराली उन की
अभी आए अभी जाते हो जल्दी क्या है दम ले लो
आया न एक बार अयादत को तू मसीह
आशिक़ का बाँकपन न गया बाद-ए-मर्ग भी
आँखें दिखलाते हो जोबन तो दिखाओ साहब
आहों से सोज़-ए-इश्क़ मिटाया न जाएगा
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन
आए बुत-ख़ाने से काबे को तो क्या भर पाया
आबरू शर्त है इंसाँ के लिए दुनिया में