Coupletss of Ameer Minai (page 3)
नाम | अमीर मीनाई |
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अंग्रेज़ी नाम | Ameer Minai |
जन्म की तारीख | 1829 |
मौत की तिथि | 1900 |
लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में
लाए कहाँ से उस रुख़-ए-रौशन की आब-ओ-ताब
किसी रईस की महफ़िल का ज़िक्र ही क्या है
किस ढिटाई से वो दिल छीन के कहते हैं 'अमीर'
ख़्वाब में आँखें जो तलवों से मलीं
ख़ुश्क सेरों तन-ए-शाएर का लहू होता है
ख़ुशामद ऐ दिल-ए-बेताब इस तस्वीर की कब तक
ख़ून-ए-नाहक़ कहीं छुपता है छुपाए से 'अमीर'
ख़ुदा ने नेक सूरत दी तो सीखो नेक बातें भी
ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर'
कौन उठाएगा तुम्हारी ये जफ़ा मेरे बाद
कौन सी जा है जहाँ जल्वा-ए-माशूक़ नहीं
करता मैं दर्दमंद तबीबों से क्या रुजूअ
कहते हो कि हमदर्द किसी का नहीं सुनते
काबा-ए-रुख़ की तरफ़ पढ़नी है आँखों से नमाज़
कबाब-ए-सीख़ हैं हम करवटें हर-सू बदलते हैं
जो चाहिए सो माँगिये अल्लाह से 'अमीर'
जिस ग़ुंचा-लब को छेड़ दिया ख़ंदा-ज़न हुआ
जवाँ होने लगे जब वो तो हम से कर लिया पर्दा
इन शोख़ हसीनों पे जो माइल नहीं होता
हम जो पहुँचे तो लब-ए-गोर से आई ये सदा
हुए नामवर बे-निशाँ कैसे कैसे
हो गया बंद दर-ए-मै-कदा क्या क़हर हुआ
हिलाल ओ बद्र दोनों में 'अमीर' उन की तजल्ली है
हाथ रख कर मेरे सीने पे जिगर थाम लिया
हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
हँस के फ़रमाते हैं वो देख के हालत मेरी
है वसिय्यत कि कफ़न मुझ को इसी का देना
है जवानी ख़ुद जवानी का सिंगार
गिरह से कुछ नहीं जाता है पी भी ले ज़ाहिद