अफ़्सोस कि जिस दिन से हम आज़ाद हुए
अफ़्सोस कि जिस दिन से हम आज़ाद हुए
अपनी ही बुरी सोच से बर्बाद हुए
झगड़े कभी मज़हब कभी भाषाओं पर
क्या क्या सितम अपने लिए ईजाद हुए
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अफ़्सोस कि जिस दिन से हम आज़ाद हुए
अपनी ही बुरी सोच से बर्बाद हुए
झगड़े कभी मज़हब कभी भाषाओं पर
क्या क्या सितम अपने लिए ईजाद हुए
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