अमीर चंद बहार कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अमीर चंद बहार
नाम | अमीर चंद बहार |
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अंग्रेज़ी नाम | Ameer Chand Bahar |
मत कहियो ज़बाँ है ये मुसलामानों की
क्यूँ उन को सताने में मज़ा आता है
क्या तुम ने मिरा हाल-ए-ज़बूँ देखा है
इस दहर में अब किस पे भरोसा कीजे
इल्ज़ाम लगाया है तो साबित भी करो
होंटों से लगाता है कोई जाम कहाँ
इक वो हैं कि इंकार किए जाते हैं
इक जहल के सैलाब में जो बहते हैं
बेकस की कोई किस लिए इमदाद करे
बे-कैफ़ हैं दिन-रात कहूँ तो किस से
अफ़्सोस कि जिस दिन से हम आज़ाद हुए