मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा
मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा
दश्त मेरा न ये चमन मेरा
मैं कि हर चंद एक ख़ाना-नशीं
अंजुमन अंजुमन सुख़न मेरा
बर्ग-ए-गुल पर चराग़ सा क्या है
छू गया था उसे दहन मेरा
मैं कि टूटा हुआ सितारा हूँ
क्या बिगाड़ेगी अंजुमन मेरा
हर घड़ी इक नया तक़ाज़ा है
दर्द-ए-सर बन गया बदन मेरा
(3971) Peoples Rate This