Ghazals of Ameen Rahat Chugtai
नाम | अमीन राहत चुग़ताई |
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अंग्रेज़ी नाम | Ameen Rahat Chugtai |
जन्म की तारीख | 1930 |
ज़िंदगी एक सज़ा हो जैसे
तीरगी ही तीरगी है बाम-ओ-दर में कौन है
रोज़ जो मरता है इस को आदमी लिक्खो कभी
मिरे बदन से कभी आँच इस तरह आए
मंज़िल-ए-शम्स-ओ-क़मर से गुज़रे
मैं तिरी दस्तरस से बहुत दूर था
क्या बताएँ कहाँ कहाँ थे फूल
किसी मकाँ के दरीचे को वा तो होना था
जो मय-कदे से भी दामन बचा बचा के चले
जो दुहाई दे रहा है कोई सौदाई न हो
जरस-ए-मय ने पुकारा है उठो और सुनो
जब कोई भी ख़ाक़ान सर-ए-बाम न होगा
हो सके तो दिल-ए-सद-चाक दिखाया जाए
हमीं थे जान-ए-बहाराँ हमीं थे रंग-ए-तरब
देख कोह-ए-ना-रसा बन कर भरम रक्खा तिरा
आज वो फूल बना हुस्न-ए-दिल-आरा देखा