Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7f529c5816f308d24a6caa3730bfbf37, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अफ़्साना-ए-हयात को दोहरा रहा हूँ मैं - अमीन हज़ीं कविता - Darsaal

अफ़्साना-ए-हयात को दोहरा रहा हूँ मैं

अफ़्साना-ए-हयात को दोहरा रहा हूँ मैं

यूँ अपनी उम्र-ए-रफ़्ता को लौटा रहा हूँ मैं

इक इक क़दम पे दर्स-ए-वफ़ा दे रहा हूँ मैं

ये किस की जुस्तुजू है किधर जा रहा हूँ मैं

या रब किसी का दाम-ए-हसीं मुंतज़िर न हो

पर शौक़ के लगे हैं उड़ा जा रहा हूँ मैं

इस सेहर-ए-रंग-ओ-बू ने तो दीवाना कर दिया

दामन के तार तार को उलझा रहा हूँ मैं

सोज़-ए-दरून-ए-सीना को नग़्मों में ढाल कर

साज़-ए-नफ़स के तार को बर्मा रहा हूँ मैं

राह-ए-तलब में देख मिरे दिल की हसरतें

साए में पा-ए-ख़िज़्र को सहला रहा हूँ मैं

रस्ते की ऊँच नीच से वाक़िफ़ तो हूँ 'अमीं'

ठोकर क़दम क़दम पे मगर खा रहा हूँ मैं

(698) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Afsana-e-hayat Ko Dohra Raha Hun Main In Hindi By Famous Poet Ameen Hazin. Afsana-e-hayat Ko Dohra Raha Hun Main is written by Ameen Hazin. Complete Poem Afsana-e-hayat Ko Dohra Raha Hun Main in Hindi by Ameen Hazin. Download free Afsana-e-hayat Ko Dohra Raha Hun Main Poem for Youth in PDF. Afsana-e-hayat Ko Dohra Raha Hun Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Afsana-e-hayat Ko Dohra Raha Hun Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.