Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f755d608f49991c6d0f827ef46722ba0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
बाम से ढल चुका है आधा दिन - अम्बरीन सलाहुद्दीन कविता - Darsaal

बाम से ढल चुका है आधा दिन

बाम से ढल चुका है आधा दिन

किस से मिलने चला है आधा दिन

तुम जो चाहो तो रुक भी सकता है

वर्ना किस से रुका है आधा दिन

झाँकती शाम के किनारे पर

मुझ से फिर लड़ पड़ा है आधा दिन

उस ने देखा जहाँ पलट के मुझे

बस वहीं रुक गया है आधा दिन

आस की आहटें जगाए हुए

खिड़कियों में सजा है आधा दिन

धूप की रेशमीं तनाबों पर

किस तरह टूटता है आधा दिन

पड़ रही होगी बर्फ़ वादी में

आँख में जम गया है आधा दिन

तीरगी का लिबास ओढ़े हुए

मेरे अंदर छुपा है आधा दिन

'अम्बरीन' एक है बखेड़े सौ

और गुज़र भी गया है आधा दिन

(820) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Baam Se Dhal Chuka Hai Aadha Din In Hindi By Famous Poet Ambarin Salahuddin. Baam Se Dhal Chuka Hai Aadha Din is written by Ambarin Salahuddin. Complete Poem Baam Se Dhal Chuka Hai Aadha Din in Hindi by Ambarin Salahuddin. Download free Baam Se Dhal Chuka Hai Aadha Din Poem for Youth in PDF. Baam Se Dhal Chuka Hai Aadha Din is a Poem on Inspiration for young students. Share Baam Se Dhal Chuka Hai Aadha Din with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.