जहाँ में हर बशर मजबूर हो ऐसा नहीं होता

जहाँ में हर बशर मजबूर हो ऐसा नहीं होता

हर इक राही से मंज़िल दूर हो ऐसा नहीं होता

तअ'ल्लुक़ टूटने का ग़म कभी हम से भी पूछो तुम

तुम्हारा ज़ख़्म ही नासूर हो ऐसा नहीं होता

गवाहों को तो बिक जाने की मजबूरी रही होगी

हमें भी फ़ैसला मंज़ूर हो ऐसा नहीं होता

मोहब्बत जुर्म है तो फिर सज़ा भी एक जैसी हो

कोई रुस्वा कोई मशहूर हो ऐसा नहीं होता

किताबों की हैं ये बातें किताबों ही में रहने दो

कोई मुफ़्लिस कभी मसरूर हो ऐसा नहीं होता

कोई मिस्रा अगर दिल में उतर जाए ग़नीमत है

तग़ज़्ज़ुल से ग़ज़ल भरपूर हो ऐसा नहीं होता

कभी पीता है 'अम्बर' ज़िंदगी के ग़म भुलाने को

वो हर शब ही नशे में चूर हो ऐसा नहीं होता

(1108) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jahan Mein Har Bashar Majbur Ho Aisa Nahin Hota In Hindi By Famous Poet Ambar Kharbanda. Jahan Mein Har Bashar Majbur Ho Aisa Nahin Hota is written by Ambar Kharbanda. Complete Poem Jahan Mein Har Bashar Majbur Ho Aisa Nahin Hota in Hindi by Ambar Kharbanda. Download free Jahan Mein Har Bashar Majbur Ho Aisa Nahin Hota Poem for Youth in PDF. Jahan Mein Har Bashar Majbur Ho Aisa Nahin Hota is a Poem on Inspiration for young students. Share Jahan Mein Har Bashar Majbur Ho Aisa Nahin Hota with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.