Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b94f6537756528867f049706e20339f6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गुलाबी चोंच - अम्बर बहराईची कविता - Darsaal

गुलाबी चोंच

गुलाबी चोंच में कीड़े लिए उड़ती है गौरय्या

जिधर इक आशियाँ में उस के बच्चों ने अभी आँखें नहीं खोलीं

मगर हैं भूक से बे-कल

मछेरे सुब्ह की धुंदली रिदाओं में

पुराने छप्परों की कोख से शानों पे रख कर जाल निकले हैं

वहीं पर खाँसते हैं चंद मेहनत-कश अलाव के किनारे बीड़ियाँ पी कर

फ़लक-पैमा इमारत के लिए मज़दूर पत्थर तोड़ते हैं मुंहमिक हो कर

सहर की सुरमई धुंदली रिदाओं में

मैं गहरी सोच में गुम हूँ

सफ़-ए-दानिश-वराँ क्या इन से बरतर है?

(720) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Gulabi Chonch In Hindi By Famous Poet Ambar Bahraichi. Gulabi Chonch is written by Ambar Bahraichi. Complete Poem Gulabi Chonch in Hindi by Ambar Bahraichi. Download free Gulabi Chonch Poem for Youth in PDF. Gulabi Chonch is a Poem on Inspiration for young students. Share Gulabi Chonch with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.