Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b331b8a4788112c1c9bb78e44a28d992, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जलते हुए जंगल से गुज़रना था हमें भी - अम्बर बहराईची कविता - Darsaal

जलते हुए जंगल से गुज़रना था हमें भी

जलते हुए जंगल से गुज़रना था हमें भी

फिर बर्फ़ के सहरा में ठहरना था हमें भी

मे'आर-नावाज़ी में कहाँ उस को सुकूँ था

उस शोख़ की नज़रों से उतरना था हमें भी

जाँ बख़्श था पल भर के लिए लम्स किसी का

फिर कर्ब के दरिया में उतरना था हमें भी

यारों की नज़र ही में न थे पँख हमारे

ख़ुद अपनी उड़ानों को कतरना था हमें भी

वो शहद में डूबा हुआ लहजा वो तख़ातुब

इख़्लास के वो रंग कि डरना था हमें भी

याद आए जो क़द्रों के महकते हुए गुलबन

चाँदी के हिसारों से उभरना था हमें भी

सोने के हंडोले में वो ख़ुश-पोश मगन था

मौसम भी सुहाना था सँवरना था हमें भी

हर फूल पे उस शख़्स को पत्थर थे चलाने

अश्कों से हर इक बर्ग को भरना था हमें भी

उस को था बहुत नाज़ ख़द्द-ओ-ख़ाल पे 'अम्बर'

इक रोज़ तह-ए-ख़ाक बिखरना था हमें भी

(782) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jalte Hue Jangal Se Guzarna Tha Hamein Bhi In Hindi By Famous Poet Ambar Bahraichi. Jalte Hue Jangal Se Guzarna Tha Hamein Bhi is written by Ambar Bahraichi. Complete Poem Jalte Hue Jangal Se Guzarna Tha Hamein Bhi in Hindi by Ambar Bahraichi. Download free Jalte Hue Jangal Se Guzarna Tha Hamein Bhi Poem for Youth in PDF. Jalte Hue Jangal Se Guzarna Tha Hamein Bhi is a Poem on Inspiration for young students. Share Jalte Hue Jangal Se Guzarna Tha Hamein Bhi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.