कर के बीमार दी दवा तू ने
कर के बीमार दी दवा तू ने
जान से पहले दिल लिया तू ने
रह-रव-ए-तिश्ना-लब न घबराना
अब लिया चश्मा-ए-बक़ा तू ने
शेख़ जब दिल ही दैर में न लगा
आ के मस्जिद से क्या लिया तू ने
दूर हो ऐ दिल-ए-मआल अंदेश
खो दिया उम्र का मज़ा तू ने
एक बेगाना वार कर के निगाह
क्या किया चश्म-ए-आश्ना तू ने
दिल ओ दीं खो के आए थे सू-ए-दैर
याँ भी सब कुछ दिया ख़ुदा तू ने
ख़ुश है उम्मीद-ए-ख़ुल्द पर 'हाली'
कोई पूछे कि क्या किया तू ने
(901) Peoples Rate This