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अल्ताफ़ हुसैन हाली Ghazal In Hindi - Best अल्ताफ़ हुसैन हाली Ghazal Shayari & Poems - Darsaal

Ghazals of Altaf Hussain Hali

Ghazals of Altaf Hussain Hali
नामअल्ताफ़ हुसैन हाली
अंग्रेज़ी नामAltaf Hussain Hali
जन्म की तारीख1837
मौत की तिथि1914
जन्म स्थानDelhi

वस्ल का उस के दिल-ए-ज़ार तमन्नाई है

वाँ अगर जाएँ तो ले कर जाएँ क्या

उस के जाते ही ये क्या हो गई घर की सूरत

रंज और रंज भी तन्हाई का

मैं तो मैं ग़ैर को मरने से अब इंकार नहीं

कोई महरम नहीं मिलता जहाँ में

ख़ूबियाँ अपने में गो बे-इंतिहा पाते हैं हम

कर के बीमार दी दवा तू ने

कह दो कोई साक़ी से कि हम मरते हैं प्यासे

कब्क ओ क़ुमरी में है झगड़ा कि चमन किस का है

जुनूँ कार-फ़रमा हुआ चाहता है

जीते जी मौत के तुम मुँह में न जाना हरगिज़

इश्क़ को तर्क-ए-जुनूँ से क्या ग़रज़

हश्र तक याँ दिल शकेबा चाहिए

हक़ीक़त महरम-ए-असरार से पूछ

हक़ वफ़ा के जो हम जताने लगे

है ये तकिया तिरी अताओं पर

है जुस्तुजू कि ख़ूब से है ख़ूब-तर कहाँ

गो जवानी में थी कज-राई बहुत

घर है वहशत-ख़ेज़ और बस्ती उजाड़

ग़म-ए-फ़ुर्क़त ही में मरना हो तो दुश्वार नहीं

दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जाएगा

दिल को दर्द-आश्ना किया तू ने

धूम थी अपनी पारसाई की

बुरी और भली सब गुज़र जाएगी

बात कुछ हम से बन न आई आज

अब वो अगला सा इल्तिफ़ात नहीं

आगे बढ़े न क़िस्सा-ए-इश्क़-ए-बुताँ से हम

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