Coupletss of Altaf Hussain Hali
नाम | अल्ताफ़ हुसैन हाली |
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अंग्रेज़ी नाम | Altaf Hussain Hali |
जन्म की तारीख | 1837 |
मौत की तिथि | 1914 |
जन्म स्थान | Delhi |
यारान-ए-तेज़-गाम ने महमिल को जा लिया
यही है इबादत यही दीन ओ ईमाँ
वो उम्मीद क्या जिस की हो इंतिहा
उस के जाते ही ये क्या हो गई घर की सूरत
तुम को हज़ार शर्म सही मुझ को लाख ज़ब्त
तुम ऐसे कौन ख़ुदा हो कि उम्र भर तुम से
तज़्किरा देहली-ए-मरहूम का ऐ दोस्त न छेड़
ताज़ीर-ए-जुर्म-ए-इश्क़ है बे-सर्फ़ा मोहतसिब
शहद-ओ-शकर से शीरीं उर्दू ज़बाँ हमारी
सख़्त मुश्किल है शेवा-ए-तस्लीम
सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलती
रोना है ये कि आप भी हँसते थे वर्ना याँ
राह के तालिब हैं पर बे-राह पड़ते हैं क़दम
क़लक़ और दिल में सिवा हो गया
क़ैस हो कोहकन हो या 'हाली'
मुँह कहाँ तक छुपाओगे हम से
मुझे कल के वादे पे करते हैं रुख़्सत
माँ बाप और उस्ताद सब हैं ख़ुदा की रहमत
क्यूँ बढ़ाते हो इख़्तिलात बहुत
कुछ हँसी खेल सँभलना ग़म-ए-हिज्राँ में नहीं
कहते हैं जिस को जन्नत वो इक झलक है तेरी
जानवर आदमी फ़रिश्ता ख़ुदा
इश्क़ सुनते थे जिसे हम वो यही है शायद
हम ने अव्वल से पढ़ी है ये किताब आख़िर तक
हम रोज़-ए-विदाअ' उन से हँस हँस के हुए रुख़्सत
हम जिस पे मर रहे हैं वो है बात ही कुछ और
होती नहीं क़ुबूल दुआ तर्क-ए-इश्क़ की
हर सम्त गर्द-ए-नाक़ा-ए-लैला बुलंद है
है जुस्तुजू कि ख़ूब से है ख़ूब-तर कहाँ
'हाली' सुख़न में 'शेफ़्ता' से मुस्तफ़ीद है