गुम-कर्दा-ए-मंज़िल हुई आवाज़-ए-दरा
अल्फ़ाज़ का रिश्ता न मआ'नी से रहा
एहसास के क़दमों की थकन क्या पूछो
इज़हार तक आया नहीं दम फूल गया
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Gulzar
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Anwar Masood
Javed Akhtar
Wasi Shah
Jaun Eliya
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मेरा ज़ौक़-ए-सज्दा-रेज़ी रास जिन को आ गया
गुम रहोगे कब तक अपनी ज़ात ही में
ज़ख़्म दिल का ख़ूँ-चकाँ ऐसा न था
क्यूँ लग़्ज़िश-ए-पा मेरी मलामत का हदफ़ है
ख़ुद-साख़्ता अफ़्साने सुनाते रहिए
ये क्या कि फ़क़त अपनी ही तस्वीर बनाओ
उस मंज़िल-ए-हयात में अब गामज़न है दिल
दश्त-दर-दश्त फिरा करता हूँ प्यासा हूँ मैं
गुलज़ार से क्या दश्त-ओ-दमन से गुज़रे
हर सुब्ह के चेहरे को निखारा किस ने
सूरज पे जो थूकोगे तो क्या पाओगे