Love Poetry of Alok Mishra
नाम | आलोक मिश्रा |
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अंग्रेज़ी नाम | Alok Mishra |
सब सितारे दिलासा देते हैं
क्या क़यामत है कि तेरी ही तरह से मुझ से
बुझती आँखों में तिरे ख़्वाब का बोसा रक्खा
उन की आमद है गुल-फ़िशानी है
सवालों में ख़ुद भी है डूबी उदासी
साल ये कौन सा नया है मुझे
फूल से ज़ख़्मों का अम्बार सँभाले हुए हैं
मेरे ही आस-पास हो तुम भी
जज़्ब कुछ तितलियों के पर में है
जाने किस बात से दुखा है बहुत
हम मुसलसल इक बयाँ देते हुए
धूप अब सर पे आ गई होगी
बुझती आँखों में तिरे ख़्वाब का बोसा रक्खा
बुझे लबों पे तबस्सुम के गुल सजाता हुआ