Sharab Poetry of Allama Iqbal
नाम | अल्लामा इक़बाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Allama Iqbal |
जन्म की तारीख | 1877 |
मौत की तिथि | 1938 |
जन्म स्थान | Lahore |
तेरा इमाम बे-हुज़ूर तेरी नमाज़ बे-सुरूर
नशा पिला के गिराना तो सब को आता है
नहीं है ना-उमीद 'इक़बाल' अपनी किश्त-ए-वीराँ से
मिरी निगाह में वो रिंद ही नहीं साक़ी
इल्म में भी सुरूर है लेकिन
तुलू-ए-इस्लाम
तस्वीर-ए-दर्द
शिकवा
सर-गुज़िश्त-ए-आदम
साक़ी-नामा
राम
नया शिवाला
मस्जिद-ए-क़ुर्तुबा
मार्च 1907
लेनिन
जावेद के नाम
जवाब-ए-शिकवा
हिमाला
ये हूरयान-ए-फ़रंगी दिल ओ नज़र का हिजाब
तुझे याद क्या नहीं है मिरे दिल का वो ज़माना
तू अभी रहगुज़र में है क़ैद-ए-मक़ाम से गुज़र
समा सकता नहीं पहना-ए-फ़ितरत में मिरा सौदा
रहा न हल्क़ा-ए-सूफ़ी में सोज़-ए-मुश्ताक़ी
ने मोहरा बाक़ी ने मोहरा-बाज़ी
नाला है बुलबुल-ए-शोरीदा तिरा ख़ाम अभी
न हो तुग़्यान-ए-मुश्ताक़ी तो मैं रहता नहीं बाक़ी
मुसलमाँ के लहू में है सलीक़ा दिल-नवाज़ी का
मुझे आह-ओ-फ़ुग़ान-ए-नीम-शब का फिर पयाम आया
मिटा दिया मिरे साक़ी ने आलम-ए-मन-ओ-तू
मकतबों में कहीं रानाई-ए-अफ़कार भी है