Qitas of Allama Iqbal (page 2)
नाम | अल्लामा इक़बाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Allama Iqbal |
जन्म की तारीख | 1877 |
मौत की तिथि | 1938 |
जन्म स्थान | Lahore |
ख़ुदी बुलंद थी उस ख़ूँ-गिरफ़्ता चीनी की
ख़ुदाई एहतिमाम-ए-ख़ुश्क-ओ-तर है
ख़ुदा तुझे किसी तूफ़ाँ से आश्ना कर दे
ख़िरद वाक़िफ़ नहीं है नेक-ओ-बद से
ख़िरद से राह-रौ रौशन-बसर है
करम तेरा कि बे-जौहर नहीं मैं
कल अपने मुरीदों से कहा पीर-ए-मुग़ाँ ने
कहा 'इक़बाल' ने शैख़-ए-हरम से
कभी तन्हाई-ए-कोह-ओ-दमन इश्क़
कभी आवारा ओ बे-ख़ानुमाँ इश्क़
जवानों को मिरी आह-ए-सहर दे
जमाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती नय-नवाज़ी
इस राज़ को इक मर्द-ए-फ़रंगी ने किया फ़ाश
'इक़बाल' ने कल अहल-ए-ख़याबाँ को सुनाया
हम को तो मयस्सर नहीं मिट्टी का दिया भी
हर इक ज़र्रे में है शायद मकीं दिल
फ़ितरत मिरी मानिंद-ए-नसीम-ए-सहरी है
फ़िरदौस में 'रूमी' से ये कहता था 'सनाई'
दम-ए-आरिफ़ नसीम-ए-सुब्ह-दम है
चमन में रख़्त-ए-गुल शबनम से तर है
बदल के भेस फिर आते हैं हर ज़माने में
अरब के सोज़ में साज़-ए-अजम है
अजब नहीं कि ख़ुदा तक तिरी रसाई हो
आज़ादी-ए-अफ़्कार से है उन की तबाही