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बच्चे की दुआ - अल्लामा इक़बाल कविता - Darsaal

बच्चे की दुआ

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी

ज़िंदगी शम्अ की सूरत हो ख़ुदाया मेरी!

दूर दुनिया का मिरे दम से अँधेरा हो जाए!

हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए!

हो मिरे दम से यूँही मेरे वतन की ज़ीनत

जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत

ज़िंदगी हो मिरी परवाने की सूरत या-रब

इल्म की शम्अ से हो मुझ को मोहब्बत या-रब

हो मिरा काम ग़रीबों की हिमायत करना

दर्द-मंदों से ज़ईफ़ों से मोहब्बत करना

मिरे अल्लाह! बुराई से बचाना मुझ को

नेक जो राह हो उस रह पे चलाना मुझ को

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