ज़लाम-ए-बहर में खो कर सँभल जा
तड़प जा पेच खा-खा कर बदल जा
नहीं साहिल तिरी क़िस्मत में ऐ मौज!
उभर कर जिस तरफ़ चाहे निकल जा!
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Rahat Indori
Anwar Masood
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Wasi Shah
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
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हुए मदफ़ून-ए-दरिया ज़ेर-ए-दरिया तैरने वाले
वही अस्ल-ए-मकान-ओ-ला-मकाँ है
कहा 'इक़बाल' ने शैख़-ए-हरम से
ख़िरद से राह-रौ रौशन-बसर है
एक सरमस्ती ओ हैरत है सरापा तारीक
मैं जो सर-ब-सज्दा हुआ कभी तो ज़मीं से आने लगी सदा
मानिंद-ए-सहर सेहन-ए-गुलिस्ताँ में क़दम रख
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
शुऊर ओ होश ओ ख़िरद का मोआमला है अजीब
हकीम ओ आरिफ़ ओ सूफ़ी तमाम मस्त-ए-ज़ुहूर
एक पहाड़ और गिलहरी
तिरा अंदेशा अफ़्लाकी नहीं है