ज़माम-ए-कार अगर मज़दूर के हाथों में हो फिर क्या
तरीक़-ए-कोहकन में भी वही हीले हैं परवेज़ी
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जिब्रईल ओ इबलीस
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
तस्वीर-ए-दर्द
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
ये नुक्ता मैं ने सीखा बुल-हसन से
करेंगे अहल-ए-नज़र ताज़ा बस्तियाँ आबाद
हिन्दुस्तानी बच्चों का क़ौमी गीत
ये पीरान-ए-कलीसा-ओ-हरम ऐ वा-ए-मजबूरी
इसी ख़ता से इताब-ए-मुलूक है मुझ पर
गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
ला-इलाहा-इल्लल्लाह