मुरीद-ए-सादा तो रो रो के हो गया ताइब
ख़ुदा करे कि मिले शैख़ को भी ये तौफ़ीक़
Habib Jalib
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
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Parveen Shakir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी
अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी
दम-ए-आरिफ़ नसीम-ए-सुब्ह-दम है
न तख़्त-ओ-ताज में ने लश्कर-ओ-सिपाह में है
तू ऐ असीर-ए-मकाँ ला-मकाँ से दूर नहीं
अबुल-अला-म'अर्री
ख़ुदाई एहतिमाम-ए-ख़ुश्क-ओ-तर है
रोज़-ए-हिसाब जब मिरा पेश हो दफ़्तर-ए-अमल
तिरा तन रूह से ना-आश्ना है
एक नौ-जवान के नाम
एक सरमस्ती ओ हैरत है सरापा तारीक