ज़लाम-ए-बहर में खो कर सँभल जा
तड़प जा पेच खा खा कर बदल जा
नहीं साहिल तिरी क़िस्मत में ऐ मौज
उभर कर जिस तरफ़ चाहे निकल जा
Gulzar
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Jaun Eliya
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ढूँड रहा है फ़रंग ऐश-ए-जहाँ का दवाम
महीने वस्ल के घड़ियों की सूरत उड़ते जाते हैं
कमाल-ए-तर्क नहीं आब-ओ-गिल से महजूरी
फ़ितरत मिरी मानिंद-ए-नसीम-ए-सहरी है
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
तू क़ादिर ओ आदिल है मगर तेरे जहाँ में
मोहब्बत
जमाल-ए-इश्क़-ओ-मस्ती नय-नवाज़ी
दिल-ए-बेदार फ़ारूक़ी दिल-ए-बेदार कर्रारी
औरत
फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर