ये नुक्ता मैं ने सीखा बुल-हसन से
कि जाँ मरती नहीं मर्ग-ए-बदन से
चमक सूरज में क्या बाक़ी रहेगी
अगर बे-ज़ार हो अपनी किरन से
Ahmad Faraz
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Anwar Masood
Gulzar
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Wasi Shah
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
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ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं
आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं
ख़ुदी की जल्वतों में मुस्तफ़ाई
तुलू-ए-इस्लाम
गोरिस्तान-ए-शाही
'अत्तार' हो 'रूमी' हो 'राज़ी' हो 'ग़ज़ाली' हो
तू अभी रहगुज़र में है क़ैद-ए-मक़ाम से गुज़र
मता-ए-बे-बहा है दर्द-ओ-सोज़-ए-आरज़ूमंदी
तू क़ादिर ओ आदिल है मगर तेरे जहाँ में
शुऊर ओ होश ओ ख़िरद का मोआमला है अजीब
ज़िंदगानी की हक़ीक़त कोहकन के दिल से पूछ
हकीम ओ आरिफ़ ओ सूफ़ी तमाम मस्त-ए-ज़ुहूर