वो मेरा रौनक़-ए-महफ़िल कहाँ है
मिरी बिजली मिरा हासिल कहाँ है
मक़ाम उस का है दिल की ख़ल्वतों में
ख़ुदा जाने मक़ाम-ए-दिल कहाँ है
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सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
हुए मदफ़ून-ए-दरिया ज़ेर-ए-दरिया तैरने वाले
वालिदा मरहूमा की याद में
इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में
किसे ख़बर कि सफ़ीने डुबो चुकी कितने
हज़ार ख़ौफ़ हो लेकिन ज़बाँ हो दिल की रफ़ीक़
असर करे न करे सुन तो ले मिरी फ़रियाद
इबलीस की मजलिस-ए-शूरा
मुझे आह-ओ-फ़ुग़ान-ए-नीम-शब का फिर पयाम आया
यूँ तो सय्यद भी हो मिर्ज़ा भी हो अफ़्ग़ान भी हो
कुशादा दस्त-ए-करम जब वो बे-नियाज़ करे
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल