तिरे सीने में दम है दिल नहीं है
तिरा दम गर्मी-ए-महफ़िल नहीं है
गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूर
चराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3860) Peoples Rate This
हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़्लाक में है
ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
ख़िरद से राह-रौ रौशन-बसर है
जिब्रईल ओ इबलीस
ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें
गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख
ख़ुदा तुझे किसी तूफ़ाँ से आश्ना कर दे
वो मेरा रौनक़-ए-महफ़िल कहाँ है
निगाह-ए-फ़क़्र में शान-ए-सिकंदरी क्या है
यूँ तो सय्यद भी हो मिर्ज़ा भी हो अफ़्ग़ान भी हो
वो हर्फ़-ए-राज़ कि मुझ को सिखा गया है जुनूँ
दिल-ए-बेदार फ़ारूक़ी दिल-ए-बेदार कर्रारी