तिरा जौहर है नूरी पाक है तू
फ़रोग़-ए-दीदा-ए-अफ़्लाक है तू
तिरे सैद-ए-ज़बूँ फ़रिश्ता ओ हूर
कि शाहीन-ए-शह-ए-लौलाक है तू
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वो हर्फ़-ए-राज़ कि मुझ को सिखा गया है जुनूँ
बच्चे की दुआ
अबुल-अला-म'अर्री
मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से
नाला-ए-फ़िराक़
नया शिवाला
ज़मीर-ए-लाला मय-ए-लाल से हुआ लबरेज़
कमाल-ए-जोश-ए-जुनूँ में रहा मैं गर्म-ए-तवाफ़
या रब ये जहान-ए-गुज़राँ ख़ूब है लेकिन
अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली
हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल