तरीक़-ए-अहल-ए-दुनिया है गिला-शिकवा ज़माने का
नहीं है ज़ख़्म खा कर आह करना शान-ए-दरवेशी
ये नुक्ता पीर-ए-दाना ने मुझे ख़ल्वत में समझाया
कि है ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ शेरी फ़ुग़ाँ रूबाही ओ मेशी
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तू है मुहीत-ए-बे-कराँ मैं हूँ ज़रा सी आबजू
ज़लाम-ए-बहर में खो कर सँभल जा
गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूर
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
नहीं है ना-उमीद 'इक़बाल' अपनी किश्त-ए-वीराँ से
तुलू-ए-इस्लाम
इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा
एक नौ-जवान के नाम
कमाल-ए-जोश-ए-जुनूँ में रहा मैं गर्म-ए-तवाफ़
तराना-ए-हिन्दी
वजूद-ए-ज़न से है तस्वीर-ए-काएनात में रंग
है याद मुझे नुक्ता-ए-सलमान-ए-ख़ुश-आहंग