गुज़र जा अक़्ल से आगे कि ये नूर
चराग़-ए-राह है मंज़िल नहीं है
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हरम-ए-पाक भी अल्लाह भी क़ुरआन भी एक
'अत्तार' हो 'रूमी' हो 'राज़ी' हो 'ग़ज़ाली' हो
लेनिन
जवाब-ए-शिकवा
फ़ितरत ने न बख़्शा मुझे अंदेशा-ए-चालाक
हवा हो ऐसी कि हिन्दोस्ताँ से ऐ 'इक़बाल'
निगाह-ए-इश्क़ दिल-ए-ज़िंदा की तलाश में है
हुआ न ज़ोर से उस के कोई गरेबाँ चाक
रहा न हल्क़ा-ए-सूफ़ी में सोज़-ए-मुश्ताक़ी
उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं
मैं तुझ को बताता हूँ तक़दीर-ए-उमम क्या है
तू है मुहीत-ए-बे-कराँ मैं हूँ ज़रा सी आबजू