फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है
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इल्म में भी सुरूर है लेकिन
तिरा अंदेशा अफ़्लाकी नहीं है
मोहब्बत
बच्चे की दुआ
पुराने हैं ये सितारे फ़लक भी फ़र्सूदा
अगर हंगामा-हा-ए-शौक़ से है ला-मकाँ ख़ाली
मैं तुझ को बताता हूँ तक़दीर-ए-उमम क्या है
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
ज़िंदगानी की हक़ीक़त कोहकन के दिल से पूछ
'अत्तार' हो 'रूमी' हो 'राज़ी' हो 'ग़ज़ाली' हो
न हो तुग़्यान-ए-मुश्ताक़ी तो मैं रहता नहीं बाक़ी
परेशाँ कारोबार-ए-आश्नाई