मरक़द का शबिस्ताँ भी उसे रास न आया
आराम क़लंदर को तह-ए-ख़ाक नहीं है
ख़ामोशी-ए-अफ़्लाक तो है क़ब्र में लेकिन
बे-क़ैदी ओ पहनाई-ए-अफ़्लाक नहीं है
Anwar Masood
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Gulzar
Habib Jalib
Jaun Eliya
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है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़
अफ़्लाक से आता है नालों का जवाब आख़िर
ज़मीर-ए-लाला मय-ए-लाल से हुआ लबरेज़
तिरे सीने में दम है दिल नहीं है
बच्चे की दुआ
मार्च 1907
तिरा तन रूह से ना-आश्ना है
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
जिस खेत से दहक़ाँ को मयस्सर नहीं रोज़ी
न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की
नाला-ए-फ़िराक़
नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर