कोई देखे तो मेरी नय-नवाज़ी
नफ़स हिन्दी, मक़ाम-ए-नग़्मा-ताज़ी
निगह आलूदा-ए-अंदाज़-ए-अफ़रंग
तबीअ'त ग़ज़नवी, क़िस्मत अयाज़ी
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ख़ुदा तुझे किसी तूफ़ाँ से आश्ना कर दे
अक़्ल गो आस्ताँ से दूर नहीं
आज़ादी-ए-अफ़्कार से है उन की तबाही
बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम
बे-ख़तर कूद पड़ा आतिश-ए-नमरूद में इश्क़
हिमाला
तिरे सीने में दम है दिल नहीं है
उमीद-ए-हूर ने सब कुछ सिखा रक्खा है वाइज़ को
मिटा दिया मिरे साक़ी ने आलम-ए-मन-ओ-तू
एक नौ-जवान के नाम
ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
न तख़्त-ओ-ताज में ने लश्कर-ओ-सिपाह में है