कभी आवारा ओ बे-ख़ानुमाँ इश्क़
कभी शाह-ए-शहाँ नौ-शेरवाँ इश्क़
कभी मैदाँ में आता है ज़िरा-पोश
कभी उर्यां ओ बे-तेग़-ओ-सिनाँ इश्क़
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बच्चे की दुआ
शुऊर ओ होश ओ ख़िरद का मोआमला है अजीब
यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम
नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर
तमन्ना दर्द-ए-दिल की हो तो कर ख़िदमत फ़क़ीरों की
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
क्या इश्क़ एक ज़िंदगी-ए-मुस्तआ'र का
इश्क़ भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में
निगह उलझी हुई रंग-ओ-बू में
अक़्ल गो आस्ताँ से दूर नहीं
'इक़बाल' ने कल अहल-ए-ख़याबाँ को सुनाया
गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर