गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख

गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख

है देखने की चीज़ इसे बार बार देख

आया है तू जहाँ में मिसाल-ए-शरार देख

दम दे न जाए हस्ती-ना-पाएदार देख

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं

तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख

खोली हैं ज़ौक़-ए-दीद ने आँखें तिरी अगर

हर रहगुज़र में नक़्श-ए-कफ़-ए-पा-ए-यार देख

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Gulzar-e-hast-e-bud Na Begana-war Dekh In Hindi By Famous Poet Allama Iqbal. Gulzar-e-hast-e-bud Na Begana-war Dekh is written by Allama Iqbal. Complete Poem Gulzar-e-hast-e-bud Na Begana-war Dekh in Hindi by Allama Iqbal. Download free Gulzar-e-hast-e-bud Na Begana-war Dekh Poem for Youth in PDF. Gulzar-e-hast-e-bud Na Begana-war Dekh is a Poem on Inspiration for young students. Share Gulzar-e-hast-e-bud Na Begana-war Dekh with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.