अल्लामा इक़बाल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अल्लामा इक़बाल (page 10)
नाम | अल्लामा इक़बाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Allama Iqbal |
जन्म की तारीख | 1877 |
मौत की तिथि | 1938 |
जन्म स्थान | Lahore |
ला फिर इक बार वही बादा ओ जाम ऐ साक़ी
कुशादा दस्त-ए-करम जब वो बे-नियाज़ करे
की हक़ से फ़रिश्तों ने 'इक़बाल' की ग़म्माज़ी
ख़ुदी वो बहर है जिस का कोई किनारा नहीं
ख़ुदी की शोख़ी ओ तुंदी में किब्र-ओ-नाज़ नहीं
ख़ुदी हो इल्म से मोहकम तो ग़ैरत-ए-जिब्रील
खो न जा इस सहर ओ शाम में ऐ साहिब-ए-होश
ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
ख़िरद ने मुझ को अता की नज़र हकीमाना
ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं
करेंगे अहल-ए-नज़र ताज़ा बस्तियाँ आबाद
कमाल-ए-तर्क नहीं आब-ओ-गिल से महजूरी
कमाल-ए-जोश-ए-जुनूँ में रहा मैं गर्म-ए-तवाफ़
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही
इश्क़ से पैदा नवा-ए-ज़िंदगी में ज़ेर-ओ-बम
हुआ न ज़ोर से उस के कोई गरेबाँ चाक
हज़ार ख़ौफ़ हो लेकिन ज़बाँ हो दिल की रफ़ीक़
हर शय मुसाफ़िर हर चीज़ राही
हर इक मक़ाम से आगे गुज़र गया मह-ए-नौ
हर चीज़ है महव-ए-ख़ुद-नुमाई
है याद मुझे नुक्ता-ए-सलमान-ए-ख़ुश-आहंग
हादसा वो जो अभी पर्दा-ए-अफ़्लाक में है
गुलज़ार-ए-हस्त-ओ-बूद न बेगाना-वार देख
गेसू-ए-ताबदार को और भी ताबदार कर
गर्म-ए-फ़ुग़ाँ है जरस उठ कि गया क़ाफ़िला
फ़ितरत ने न बख़्शा मुझे अंदेशा-ए-चालाक
फ़ितरत को ख़िरद के रू-ब-रू कर
फ़क़्र के हैं मोजज़ात ताज ओ सरीर ओ सिपाह
इक दानिश-ए-नूरानी इक दानिश-ए-बुरहानी