यार जब नैनों में आया हू-ब-हू
यार जब नैनों में आया हू-ब-हू
ज्यूँ सुना त्यूँ उस में पाया हू-ब-हू
क़ाल काँ होता मुक़ाबिल हाल के
नूर का सब अम्र छाया हू-ब-हू
मुतरिब-ए-ज़ाती अपस के इश्क़ सूँ
तार सिर्री का बजाया हू-ब-हू
हुस्न जो रखता था अपनी ज़ात में
सात सिफ़ताँ में दिखाया हू-ब-हू
जो अथा मख़्फ़ी ओ बातिन में तमाम
वो निकल अपने सूँ पाया हू-ब-हू
जूँ शजर में तुख़्म-ए-हासिल है कमाल
त्यूँ 'अलीमुल्लाह' बताया हू-ब-हू
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