Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_90abe1b0d8e303605918d5c647f41c55, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आया है मगर इश्क़ में दिलदार हमारा - अलीमुल्लाह कविता - Darsaal

आया है मगर इश्क़ में दिलदार हमारा

आया है मगर इश्क़ में दिलदार हमारा

हर तन में हुआ जान हर इक जिस्म का न्यारा

बे-मिस्ल उस के हुस्न को कहते हैं दो-आलम

दिस्ता है हर इक ख़ल्क़ को अपने सूँ पियारा

मन-कान न हो यार के दरसन को न जाने

आया नहीं कुइ फिर के जहाँ बीच दोबारा

उस शम-ए-दरख़्शाँ को अपस साथ तू ले जा

वर नहिं तो क़बर बीच है ज़ुल्मात अँधारा

करने में जमा ज़र के गँवाता है उमर क्यूँ

आख़िर को निकल जाएगा सब छोड़ ज़रारा

फ़रज़ंद-ओ-अज़ीज़ान सकल ख़्वेश क़बीला

दुनिया है दग़ाबाज़ नहीं कोई तुम्हारा

बेहद है 'अलीम' इश्क़ के तालीम का तूमार

पाया नहीं कुइ इश्क़ के दरिया का किनारा

(732) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aaya Hai Magar Ishq Mein Dildar Hamara In Hindi By Famous Poet Alimullah. Aaya Hai Magar Ishq Mein Dildar Hamara is written by Alimullah. Complete Poem Aaya Hai Magar Ishq Mein Dildar Hamara in Hindi by Alimullah. Download free Aaya Hai Magar Ishq Mein Dildar Hamara Poem for Youth in PDF. Aaya Hai Magar Ishq Mein Dildar Hamara is a Poem on Inspiration for young students. Share Aaya Hai Magar Ishq Mein Dildar Hamara with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.