Friendship Poetry of Alimullah
नाम | अलीमुल्लाह |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Alimullah |
यार के दरसन के ख़ातिर जान और तन भूल जा
तालाब इरादे का भरे पल में लबालब
यार के दरसन के ख़ातिर जान और तन भूल जा
यार जब नैनों में आया हू-ब-हू
पीतम के देखने के तमाशा को जाएँ चल
ला-मकाँ लग आशिक़ाँ के इश्क़ का पर्वाज़ है
लगा कर इश्क़ का कजरा नयन को
ख़यालात रंगीं नहीं बोलते उस को ज्यूँ बास फूलों के रंगों में रहिए
इश्क़ आ हम सूँ किया जब राम राम
हुस्न का देख हर तरफ़ गुलज़ार
ग़फ़लत में सोया अब तिलक फिर होवेगा होश्यार कब
दिलबर को दिलबरी सूँ मना यार कर रखूँ
'बहरी' पछाने नीं उसे गुल के सो वो दम-साज़ थे
अक़्ल-ए-जुज़वी छोड़ कर ऐ यार फ़िक्र-ए-कुल करो
अक़्ल को छोड़ इश्क़ में आ जा
अजब चंचल मिला है यार हमना
आया है मगर इश्क़ में दिलदार हमारा