अलीमुल्लाह हाली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अलीमुल्लाह हाली
नाम | अलीमुल्लाह हाली |
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अंग्रेज़ी नाम | Alimullah Hali |
जन्म स्थान | Patna |
सदाओं के जंगल में वो ख़ामुशी है
कोई पत्थर का निशाँ रख के जुदा हों हम तुम
एक आवाज़ ने तोड़ी है ख़मोशी मेरी
बिखर के छूट न जाऊँ तिरी गिरफ़्त से मैं
उस का ग़म अपनी तलब छीन के ले जाएगा
सफ़र है ज़ेहन का तो कोई रहनुमा ले जा
सदाओं के जंगल में वो ख़ामुशी है
ना-शनासी का हमेशा ग़म रहा
जुदा किया तो बहुत ही हँसी-ख़ुशी उस ने
है ग़म-ए-हिज्र न अब ज़ौक़-ए-तलब कुछ भी नहीं
बादलों के बीच था मैं बे-सर-ओ-सामाँ न था