किस तरह जाऊँ कि ये आए हुए रात में हैं

किस तरह जाऊँ कि ये आए हुए रात में हैं

ये अंधेरे नहीं हैं साए मिरी घात में हैं

मिलता रहता हूँ मैं उन से तो ये मिल लेते हैं

यार अब दिल में नहीं रहते मुलाक़ात में हैं

ये तो नाकाम असासा है समुंदर के पास

कुछ ग़ज़बनाक सी लहरें मिरे जज़्बात में हैं

ये धुएँ में जो नज़र आते हैं सरसब्ज़ यहाँ

ये मकाँ शहर में हो कर भी मज़ाफ़ात में हैं

दिल का छूना था कि जज़्बात हुए पत्थर के

ऐसा लगता है कि हम शहर-ए-तिलिस्मात में हैं

मैं ही तकरार हूँ और मैं ही मुकर्रर हूँ यहाँ

वक़्त पर चलते हुए दिन मिरी औक़ात में हैं

(674) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kis Tarah Jaun Ki Ye Aae Hue Raat Mein Hain In Hindi By Famous Poet Ali Zubair. Kis Tarah Jaun Ki Ye Aae Hue Raat Mein Hain is written by Ali Zubair. Complete Poem Kis Tarah Jaun Ki Ye Aae Hue Raat Mein Hain in Hindi by Ali Zubair. Download free Kis Tarah Jaun Ki Ye Aae Hue Raat Mein Hain Poem for Youth in PDF. Kis Tarah Jaun Ki Ye Aae Hue Raat Mein Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Kis Tarah Jaun Ki Ye Aae Hue Raat Mein Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.