तीन मुख़्तसर नज़्में
1
इस तरह लब हिले
कि रातों ने
अपने सीने के राज़ खोल दिए
2
मुंजमिद क़दमों को पिघलाता है कौन
रास्ता बन कर
चला जाता है कौन
3
तेरे लबों पर
मेरे दिल की ख़्वाहिश है
आ जाए न कोई तबाही
देख के चल
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1
इस तरह लब हिले
कि रातों ने
अपने सीने के राज़ खोल दिए
2
मुंजमिद क़दमों को पिघलाता है कौन
रास्ता बन कर
चला जाता है कौन
3
तेरे लबों पर
मेरे दिल की ख़्वाहिश है
आ जाए न कोई तबाही
देख के चल
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