अली ज़हीर लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अली ज़हीर लखनवी
नाम | अली ज़हीर लखनवी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ali Zaheer Lakhnavi |
ज़रा पर्दा हटा दो सामने से बिजलियाँ चमकें
वो तो था आदमी की तरह 'ज़हीर'
राज़-ए-ग़म-ए-उल्फ़त को ये दुनिया न समझ ले
नफ़रत से मोहब्बत को सहारे भी मिले हैं
मिरा ख़ून-ए-जिगर पुर-नूर बन जाए तो अच्छा हो
कान सुनते तो हैं लेकिन न समझने के लिए
हमारी ज़िंदगी क्या है मोहब्बत ही मोहब्बत है
तुम से
तीन मुख़्तसर नज़्में
ताज़ा मंज़र
मैं बड़ी मुश्किल में हूँ
कसाफ़त
काला समुंदर
एक रात एक सुब्ह
एक पलटता हुआ मंज़र
वरक़-ए-इंतिख़ाब दिल में है
न आसमाँ की कहानी न वाँ का क़िस्सा लिख
किसे बताएँ कि क्या ग़म रहा है आँखों में
दिल ये कहता है कि इक आलम-ए-मुज़्तर देखूँ
दर्द हर रंग से अतवार-ए-दुआ माँगे है