Sharab Poetry of Ali Sardar Jafri
नाम | अली सरदार जाफ़री |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ali Sardar Jafri |
जन्म की तारीख | 1913 |
मौत की तिथि | 2000 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ये मय-कदा है यहाँ हैं गुनाह जाम-ब-दस्त
तीन शराबी
ताशक़ंद की शाम
क़त्ल-ए-आफ़्ताब
मिरे अज़ीज़ो, मिरे रफ़ीक़ो
मेरा सफ़र
लहू पुकारता है
हाथों का तराना
गुफ़्तुगू (हिन्द पाक दोस्ती के नाम)
बहुत क़रीब हो तुम
ये बेकस-ओ-बेक़रार चेहरे
वही हुस्न-ए-यार में है वही लाला-ज़ार में है
वही है वहशत वही है नफ़रत आख़िर इस का क्या है सबब
उलझे काँटों से कि खेले गुल-ए-तर से पहले
तुम्हारे ए'जाज़-ए-हुस्न की मेरे दिल पे लाखों इनायतें हैं
सुब्ह हर उजाले पे रात का गुमाँ क्यूँ है
सितारों के पयाम आए बहारों के सलाम आए
शम्अ' का मय का शफ़क़-ज़ार का गुलज़ार का रंग
शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो
सर्द हैं दिल आतिश-ए-रू-ए-निगाराँ चाहिए
नग़्मा-ए-ज़ंजीर है और शहर-ए-याराँ इन दिनों
मस्ती-ए-रिंदाना हम सैराबी-ए-मय-ख़ाना हम
लग़्ज़िश-ए-गाम लिए लग़्ज़िश-ए-मस्ताना लिए
इश्क़ का नग़्मा जुनूँ के साज़ पर गाते हैं हम
फ़रोग़-ए-दीदा-ओ-दिल लाला-ए-सहर की तरह
इक सुब्ह है जो हुई नहीं है
दिल की आग जवानी के रुख़्सारों को दहकाए है
बैठे हैं जहाँ साक़ी पैमाना-ए-ज़र ले कर