Hope Poetry of Ali Sardar Jafri
नाम | अली सरदार जाफ़री |
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अंग्रेज़ी नाम | Ali Sardar Jafri |
जन्म की तारीख | 1913 |
मौत की तिथि | 2000 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ये किस ने फ़ोन पे दी साल-ए-नौ की तहनियत मुझ को
तू वो बहार जो अपने चमन में आवारा
परतव से जिस के आलम-ए-इम्काँ बहार है
कमी कमी सी थी कुछ रंग-ओ-बू-ए-गुलशन में
इसी लिए तो है ज़िंदाँ को जुस्तुजू मेरी
इसी दुनिया में दिखा दें तुम्हें जन्नत की बहार
उर्दू
तुम्हारा शहर
तुम नहीं आए थे जब
तीन शराबी
ताशक़ंद की शाम
सर-ए-तूर
साल-ए-नौ
क़त्ल-ए-आफ़्ताब
पैराहन-ए-शरर
मेरे ख़्वाब
मिरे अज़ीज़ो, मिरे रफ़ीक़ो
फ़रेब
दोस्ती का हाथ
दो चराग़
बहुत क़रीब हो तुम
अब भी रौशन हैं
ये बेकस-ओ-बेक़रार चेहरे
वुफ़ूर-ए-शौक़ की रंगीं हिकायतें मत पूछ
वही हुस्न-ए-यार में है वही लाला-ज़ार में है
वही है वहशत वही है नफ़रत आख़िर इस का क्या है सबब
उलझे काँटों से कि खेले गुल-ए-तर से पहले
सितारों के पयाम आए बहारों के सलाम आए
शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो
शिकस्त-ए-शौक़ को तकमील-ए-आरज़ू कहिए