Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_eaaa785b67b9aa3e5d508a6f7efd007e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो - अली सरदार जाफ़री कविता - Darsaal

शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो

शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो

बाग़ में कैसी हवा आज चली है यारो

कौन है ख़ौफ़-ज़दा जश्न-ए-सहर से पूछो

रात की नब्ज़ तो अब छूट चली है यारो

ताक के दिल से दिल-ए-शीशा-ओ-पैमाना तक

एक इक बूँद में सौ शम्अ जली है यारो

चूम लेना लब-ए-लालीं का है रिंदों को रवा

रस्म ये बादा-ए-गुल-गूँ से चली है यारो

सिर्फ़ इक ग़ुंचा से शर्मिंदा है आलम की बहार

दिल-ए-ख़ूँ-गश्ता के होंटों पे हँसी है यारो

वो जो अंगूर के ख़ोशों में थी मानिंद-ए-नुजूम

ढल के अब जाम में ख़ुर्शीद बनी है यारो

बू-ए-ख़ूँ आती है मिलता है बहारों का सुराग़

जाने किस शोख़ सितमगर की गली है यारो

ये ज़मीं जिस से है हम ख़ाक-नशीनों का उरूज

ये ज़मीं चाँद सितारों में घिरी है यारो

ज़ुरअ-ए-तल्ख़ भी है जाम-गवारा भी है

ज़िंदगी जश्न-गह-ए-बादा-कशी है यारो

(1043) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

ShaKH-e-gul Hai Ki Ye Talwar Khinchi Hai Yaro In Hindi By Famous Poet Ali Sardar Jafri. ShaKH-e-gul Hai Ki Ye Talwar Khinchi Hai Yaro is written by Ali Sardar Jafri. Complete Poem ShaKH-e-gul Hai Ki Ye Talwar Khinchi Hai Yaro in Hindi by Ali Sardar Jafri. Download free ShaKH-e-gul Hai Ki Ye Talwar Khinchi Hai Yaro Poem for Youth in PDF. ShaKH-e-gul Hai Ki Ye Talwar Khinchi Hai Yaro is a Poem on Inspiration for young students. Share ShaKH-e-gul Hai Ki Ye Talwar Khinchi Hai Yaro with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.