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ये एक फ़ितरी अमल है - अली साहिल कविता - Darsaal

ये एक फ़ितरी अमल है

मोहब्बत

ज़िंदगी का आरिज़ी ठिकाना है

और

शहर में तफ़रीही मक़ामात की क़िल्लत

आबादी में इज़ाफ़े की असल वजह

ये बात बहुत कम लोग जानते हैं

किराए के मकानों में पैदा होने वाले बच्चे

आँखों में दीवारें ले कर पैदा होते हैं

और छतों के ख़्वाब देखते हुए

ज़िंदगी का ज़ियादा हिस्सा

नाकामी का ताना सुनते हुए गुज़ार देते हैं

ताना सुनने वाली आँखों में

आँसू और शिकायत

एक फ़ितरी अमल है

जिस का रद्द-ए-अमल भी

आबादी में इज़ाफ़े की वजह बन सकता है

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