Ghazals of Ali Muzammil
नाम | अली मुज़म्मिल |
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अंग्रेज़ी नाम | Ali Muzammil |
ये क्या कि ख़ल्क़ को पूरा दिखाई देता हूँ
तसव्वुर मुन्कशिफ़-अज़-बाम हो जाने से डरता हूँ
शहर-ए-दिल कुंज-ए-बयाबान नहीं था पहले
न माह-रू न किसी माहताब से हुई थी
मेरी इम्लाक समझ बे-सर-ओ-सामानी को
ख़सारा-दर-ख़सारा कर लिया जाए
हस्ब-ए-मक़्सूद हो गया हूँ मैं
हर बुरे वक़्त के अफ़आ'ल बदल देता है
दर-ए-शही से दर-ए-गदाई पे आ गया हूँ