अब न वो शोरिश-ए-रफ़्तार न वो जोश-ए-जुनूँ
हम कहाँ फँस गए यारान-ए-सुबुक-गाम के साथ
Anwar Masood
Javed Akhtar
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
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जब छेड़ती हैं उन को गुमनाम आरज़ुएँ
इक आह-ए-ज़ेर-ए-लब के गुनहगार हो गए
गो वसीअ' सहरा में इक हक़ीर ज़र्रा हूँ
हिज्र की रात ये हर डूबते तारे ने कहा
लज़्ज़त-ए-दर्द मिली इशरत-ए-एहसास मिली
ऐश ही ऐश है न सब ग़म है
हार के भी नहीं मिटी दिल से ख़लिश हयात की
जिन हौसलों से मेरा जुनूँ मुतमइन न था
उफ़ वो इक हर्फ़-ए-तमन्ना जो हमारे दिल में था
नया मय-कदे में निज़ाम आ गया
नींद आ गई थी मंज़िल-ए-इरफ़ाँ से गुज़र के
ये दुश्मनी है साक़ी या दोस्ती है साक़ी