Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a68513d3534836f682a5020198f4dc87, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
भूलती हुई याद - अली जव्वाद ज़ैदी कविता - Darsaal

भूलती हुई याद

तुम्हें जब याद करता हूँ तो इक मिटती हुई दुनिया

मिरी आँखों के आईने में पहरों झिलमिलाती है

कहीं दम घुट रहा है मुस्कुराते सुर्ख़ फूलों का

कहीं कलियों के सीने में हवा रुक रुक के आती है

कहीं कजला गए हैं दिन के चमकाए हुए ज़र्रे

कहीं रातों की हँसती रौशनी ग़म में नहाती है

वही दुनिया जो कल तक दिल का दामन थाम लेती थी

उसी दुनिया के हर ज़र्रे में अब बे-इल्तिफ़ाती है

तमन्ना अपनी नाकामी पे काँप उठती है यूँ जैसे

बगूले में कोई सूखी सी पत्ती थरथराती है

घने कोहरे में जैसे ढँकते जाते हों हरे सब्ज़े

यूँ ही बीते दिनों की शक्ल धुँदली पड़ती जाती है

जवानी की अँधेरी रात आधी भी नहीं गुज़री

मोहब्बत के दिए की लौ अभी से थरथराती है

(966) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Bhulti Hui Yaad In Hindi By Famous Poet Ali Jawwad Zaidi. Bhulti Hui Yaad is written by Ali Jawwad Zaidi. Complete Poem Bhulti Hui Yaad in Hindi by Ali Jawwad Zaidi. Download free Bhulti Hui Yaad Poem for Youth in PDF. Bhulti Hui Yaad is a Poem on Inspiration for young students. Share Bhulti Hui Yaad with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.